मैं बंदा हिंद वालों का हूं,हिंदोस्तां मेरा

















शहीदे आज़म भगत सिंह जिस महान क्रांतिकारी को अपना आदर्श कहते थे वे थे---करतार सिंह सराभा।१९वर्ष की आयु में मातृभूमि पर मर मिटने वाले इस महान क्रांतिकारी को एक बेहतरीन शायर के रूप में भी जाना जाता है।शहीदे आज़म को श्रद्धांजलि देने के लिये उनके आदर्श करतार सिंह सराभा की यह बेहतरीन गज़ल आपको सौंप रहा हूं,यदि आपको लगे कि इस गज़ल के भाव हर भारतवासी के भाव होने चाहिये तो शेयर करें--

यही पाओगे महशर में ज़बां मेरी,बयां मेरा
मैं बंदा हिंद वालों का हूं,हिंदोस्तां मेरा
मै हिंदी,ठेठ हिंदी,जात हिंदी हूं
यही मज़हव ,यही फिरका,यही खानदां मेरा
मैं इस उजडे हुये भारत का एक ज़र्रा हूं
यही बस इक पता मेरा,यही नामो-निशां मेरा
कदम लूं चूम मादरे-भारत तेरे,मैं बैठते-उठते

कहां किस्मत मेरी ऐसी?नसीबा यह कहां मेरा?
तेरी खिदमत में अय भारत,यह सिर जाय,यह जां जाय
तो समझूंगा,यह मरना हयाते जादवां मेरा

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