बार-बार आना चाहूंगा तुम्हारे पास -रायपुर
आज जब हर व्यक्ति छोटे-छोटे स्वार्थों के लिये दूसरों को छोडिये अपने निकटतम आत्मीय जनों को छलने से ना तो चूकता है ना हिचकता है तब गिरीश मिश्र जैसे लोगों की उपस्थिति नैकट्य रिश्तों में विश्वास जगाती है।कुछ कवि-सम्मेलनीय प्रस्तावों को निरस्त कर जब मैने रायपुर 'संगवारी पोस्ट अवार्ड' एवं बबनप्रसाद मिश्र हीरक जयंती समारोह 'में जाने का निर्णय किया तो वह कोई अदृश्य शक्ति ही थी जिसने मुझे प्रेरित किया वरना इन दिनों कदहीन ओछे लोगों को हर साहित्यक और सांस्कृतिक मंच पर काबिज़ देख ऐसे कर्यक्रमों से किनारा करना ही श्रेयस्कर समझता हूं।परंतु अब मैं कह सकता हूं कि यदि मैं इस कार्यक्रम में नहीं जाता तो यह मेरे जीवन की भयंकर भूलों में से एक होती । १६ जनवरी को पं० सुरेश नीरव और मै जब इंडिगो की फ्लाइट से रायपुर के 'विवेकानंद एअरपोर्ट' पर उतरे और हमने भाई गिरीश मिश्र को अपनी सदाबहार काले चश्में और सफेद शर्ट पैंट में हाथ हिलाते देखा तो लगा कोई अपना हमारे इंतजार में है १५-२० मिनट में हम पहुंच गये १० ,रवि नगर रायपुर ।मन में विचार आया कि ये १० न० कुछ चमत्कारी तो अवश्य है।१० जनपथ,१०डाउनि...