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------ -----झूठ का अंदाज़ ऐसा सच गच्चा खा गया --------- अरविंद पथिक आजकल चायवाले गर्व से भरे पर डरे हुये हैं।उनका डर वाज़िब भी है ।इतिहास बताता है कि हम ने जैसे ही गर्व किया मान किया हमारा मानभंग हो गया।यों भी जो काम नेता करने लगता है तो वह काम अछूत हो जाता है।जैसे टोपी लगाया हुआ नेता देखते ही लगता है बचो भाई आ गया टोपी पहनाने वाला।कमल के फूल खिले तालाब ढकवाने की नौबत आ जाती है ।मेरी पडोसी ने तो घर में झाडू लगानी बंद कर दी।घुटनों के जोड जाम होने लगे तो हमारे डाक्टर ने कहा आप साइकिल चलाया करिये।मुझे क्या पता था कि डाक्टर की यह सलाह मुझे किसी पार्टी से जोड देगी।