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सितंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
दुनिया में सबसे अच्छी, हिंदी ही अपनी भाषा है रसखान ,रहीम,तुलसी,कबीर की, वाणी है -अभिलाषा है लेकर के सबको साथ चली हिंदी का किसी से वैर नहीं अवधी,ब्रज,कन्नौजी,बैसवारी,अंगिका अंग ह ैं हिंदी के खुसरो की तूती से लेकर,हिंगलिशी रंग हैं हिंदी के अग्रेज़ी,चीनी,रशियन ,अरबी सब छूट गयीं मीलों पीछे अपनी मिठास से हिंदी ने कामिल-बुल्के से रिषि खींचे हिंदी आज़ादी का साधन,समरांगण का हथियार बनी बिस्मिल ,सुभाष के गांधी के संघर्षों का आधार बनी जैसा कहते वैसा लिखते,वैसा ही दिखते हिंदी में लप्त,गप्त से मुक्त सदा सीधा लिखते हैं हिंदी में चौपाल से लेकर राष्ट्र संघ की बोली वानी हिंदी हो ज्ञान-विज्ञान अनुशासन की शासन की भाषा हिंदी हो केवल हिंदी का दिवस नही हो वर्ष समूचा हिंदी का स्थान वही हो दुनिया में होता जा माथे की बिंदी का दुंदुभि बजे दुनिया भर में हिंदी की ,हिंदी वालो की है यही कामना बढे लालिमा,हिंदी वालों के गालों की ------------अरविंद पथिक