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विभाजन और साम्प्रदायिकता के स्रोत: सर सैय्यद अहमद खान

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                                              -अरविंद पथिक      1858 की प्रतीकात्मक   हिन्दू – मुस्लिम एकता की धज्जियां सबसे पहले जिस व्यक्ति ने उड़ाई वह था सैयद अहमद खान जिसे अंग्रेजों ने सर की उपाधि से उसके इस भारत और भारतीयों विरोधी कार्य के लिए सम्मानित किया था . सर सैय्यद के पूर्वज मुगल दरबार में उच्च पदों पर कार्य करते थे . सर सैय्यद भी 1847 में ब्रिटिश सरकार की सेवा में आये . वह 1857 में तत्कालीन बरेली जिले की बिजनौर तहसील में सदर अमीन जिसका कार्य मुंसिफ मजिस्ट्रेट स्तर का होता था के पद पर तैनात थे . जब बिजनौर से अंग्रेज भाग गये तो सर सैय्यद ने बखूबी अंग्रेजों के प्रशासन को   क्रांति के उस काल में भी चलाए रखा . सर सैयद ने स्थानीय मुस्लिम क्रांतिकारियों को समझाया कि अंग्रेजों का शासन मुसलमानों के हित में है . क्रांति के पूरी तरह समाप्त होने से पूर्व ही सर सैय्यद ने 1858 में दो पुस्तकें उर्दू में लिखीं पहली पुस्तक थी ‘ बिजनौर में ग़दर के वज़ुहात ‘ और दूसरी थी ‘ असबाब ए - बगावत – हिन्द ‘. इन पुस्तकों में सबसे पहले इस क्रांति को ‘ गदर ’ कहा गया है .’ गदर ‘ शब्द के इस्तेमाल पर पाकिस