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अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
बी डी अग्नि की एक लघु रचना पेश है--- परसनेलिटी पिरिन्स की पर पाकेट से रीते हैं चाय की खोली पर घंटे भर अखबार पढने के बाद जब बिना चाय पिए ही चले आते हैं तो दुकानदार झल्ला कर कहता है निकम्मे मर भी नही जाते जाने क्यों जीते हैं परसनेलिटी पिरिन्स की पर पाकेट से रीते हैं