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शारीरिक-मानसिक अक्षमता के मुद्दे को अभिव्यक्ति देती हिंदी फिल्में

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मित्रो 'समाज कल्याण बोर्ड 'की पत्रिका के फरवरी अंक में मेरा लेख ' शारीरिक-मानसिक अक्षमता के मुद्दे को अभिव्यक्ति देती हिंदी फिल्में' सअज-सज्जा  के साथ प्रकाशित हुआ है .मैं पत्रिका के सम्पादक श्री किशोर श्रीवास्तव को धन्यवाद देता हूँ--अंक इतना अच्छा  प्रकाशित हुआ की हमारे डाक बाबु को भी बेहद पसंद आया।मुझे अभी तक देखने को नही मिला।बस मित्रो के फ़ोन काल्स ही बता रहे हैं--ककी कुछ लिख सका हूँ--आ भी पढकर बेबाक राय दे ----------------- हिंदी सिनेमा ने भाषा और संस्कृति के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी सशक्त ढंग से उठाया है।विकलांगों की समस्या को भी हिंदी सिनेमा ने समय -समय पर अपनी कथावस्तु बनाया है फिर वह चाहे हालिया रिलीज ' बरफी ' हो या ६० और ७० के दशक में रिलीज हुयी ' दोस्ती  और ' स्पर्श ' ।विकलांगों की समस्या को दो भागों में बांटा जा सकता है एक तरफ शारीरिक रूप से अक्षम वह वर्ग जो गूंगा , बहरा या अंधा है दूसरी तरफ मानसिक रूप से ' कमजोर ' या ' विशेष रूप से सक्षम ' वर्ग है।दोनो ही तरह के विकलांगों को केंद्रित अनेक फिल्में हिंदी सिनेमा