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बङे ही जतन से गढी शब्द माला

मित्रों अरसे बाद आपसे मुखातिब हो पा रहा अभी सुप्रसिद्द बाल साहित्यकार डा नागेश पांडे संजय का गीत संग्रह तुम्हारे लिए पिछले दिनो प्रकाशित हुआ ।एक गीत इस संग्रह से प्रस्तुत है---- ह्रदय की नगरिया तुम्हारे लिए है यहां तुम रहो जी निःसंकोच होकर यहा की सुप्यारि दुलारी तुम्ही हो वरो जो भी चाहो, करो जो भी चाहो समझ लो कि सर्वाधिकारि तुम्ही हो नही कुछ कहुंगा ,सभी कुछ सहूंगा कि जीवन डगरिया तुम्हारे लिए है बङे ही जतन से गढी शब्द माला अगर ठीक समझो तो गलहार कह लो पहन लो इसे तो अहोभाग्य होगा किसी सिरफिरे का इसे प्यार कह लो कदाचित तुम्हे तृप्ति का सौख्य दे दे, सृजन की गगरिया तुम्हारे लिए है

कवि सम्मेलनों की हिंदी अकादमी द्वारा स्पांसर्ड माफियागिरी पर भी परिचर्चा करायें।

दो दिन पहले ही नीरवजी से ट्विटर के बारे में बात हुई थी और आज रूपेश जी की कृपा से लोकमंगल ट्विटर से जुड भी गया ।रूपेश जी को धन्यबाद और लोकमंगल परिवार के सदस्यों को बधाई।कल ही मैने हिंदी अकादमी के नये नाथ के बारे मे कुछ लिखा था और आज ही स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले कवि सम्मेलन मे आमंत्रित कवियों की लिस्ट अखबार मे प्रकाशित हो गयी ।पूरी लिस्ट मेरी आशा के अनुरुप है।भाई ओंकारेश्वर पांडे ने संडे इंडियन के माध्यम से अकादमी मे हुए परिवर्तनों पर अच्छी परिचर्चा आयोजित की मेरा पाडे जी से अनुरोध है कि यदि संभव हो पाये तो कवि सम्मेलनों की हिंदी अकादमी द्वारा स्पांसर्ड माफियागिरी पर भी परिचर्चा करायें।