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छत की बार करो मत भाई छत ने बहुत सताया है

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छत की बार करो मत भाई छत ने बहुत सताया   है    प्यार का क , ख , ग , घ हमको छत ने ही सिखलाया है    शहरों में छत ललचाती है ,    गांवों में इठलाती है जीवन भर धक्के खाकर भी , छत ही नही मिल पाती शरमाती छत , इठलाती छत , सजती और संवरती है    बडे   बुज़ुर्गों की नज़रों में ये छत बहुत खटकती है       बडे - बडे पद मिल सकते हैं छत मिलना आसान नहीं महानगर में छत पाने से बढ कर कुछ सम्मान   जिनके सर के ऊपर छत है छत की कीमत क्या जानें ? फुटपाथों पर रहने वालों को छत वाले ना पहिचानें छत भी बहुत तरह की होतीं , कुछ असली, कुछ नकली भी कुछ होती हैं बडी घमंडी , कुछ होती हैं पगली भी यौवन की आहट सुनकर कुछ तितली सी इतराती है नज़र मिलाती नज़र चुराती छत थोडा घबराती है उम्र के साथ छत का भी चेहरा रंग बदलता है कई बार यौवन का बोझा छत से नहीं संभलता है कूद - फांद में व्यस्त कौन है ? कौन सी छत सुनसान है रहती थी गुलज़ार कभी जो वह छत अब