--शर्म आती है कि उस शहर में हैं हम---------------------------------।
मित्रों एक तरफ संसद में बलात्कार विरोधी बिल पास हो रहा है तो दूसरी ओर देश में ऐसी शर्मनाक घटनाओं की बाढ आयी हुई है।अभी मुश्किल से २ महीने गुजरे हैं 'दामिनी कांड'को कि अनगिनत घटनाओं के बीच बिल्कुल वैसी ही घटना चंडीगढ में हो गयी।राजधानी समेत देश के अधिकांश महानगरों में ,सरकारी कार्यालयों में जिस तरह से छेडछाड ,बलात्कार और शोषण की ये घटना हो रही हैं उससे तो लगता नही कि नये पुराने किसी भी कानून का खौफ इस पाशविक सोच के राक्षसों में है।कई बार तो ये लगता है कि कहीं राजधानी में हुये 'दामिनी कांड' के प्रतिकार में जो गुस्सा लोगों में दिखा कहीं वह भी प्रायोजित तो नहीं था वरना निंदनीय घटनाओं की इन बौछारों के बीच नारी संगठनों ,मानवाधिकार और महिला अधिकारों की दुहाई देने वाले मीडिया संगठनों की आवाज नक्कार खाने की तूती से ज़्यादा नहीं साबित हो रही।कोई जन सैलाब नहीं उमड रहा।लोकसभा में हमारे सांसदों की संख्या और बहस का स्तर भी बताता है कि कितने संज़ीदा हैं हम इस मामले में।अभी पिछले दिनों आकाशवाणी में हुये ऐसे ही घटनाक्रम पर जिस तरह से लीपापोती की गयी और सोशल मीडिया ने कोल्ड रिस्पांस द...