परिचय

आप पूंछते हैं
 मैं कौन हूं?
आप को कैसे बताऊं ?
कैसे समझाऊं  कि कौन हूं मैं
 क्योंकि जो मैं हूं उसे आप पहचान नहीं सकते
 और जिसे आप पहचान सकते हैं
 वह मैं बन नहीं सकता
पर इतना तय है
 कि मैं किसी पालिटिकल पार्टी का भोंपू नहीं हूं
नारी देह का
नग्न भोंडा प्रदर्शन करता फिल्मी इश्तहार नहीं हूं,
सनसनीखेज़ खबरों का सांध्य अखबार नहीं हूं
मै तो कोई स्वामी महंत या दैवी-पैरोकार भी नहीं हूं
फिर भी मैं हूं
अपनी संस्कृति को तिल-तिलकर नष्ट होते देखती
नम आंख हूं
मैं गांधी,सुभाष और भगतसिंह के सपनों की राख हूं
हमेशा से एक बवाल हूं
दुखियों की आह हूं
लाचारों के लिए राह हूं
मगर आप मुझे अब भी नही
पहचान पायेंगे
क्योंकि,आपकी आंखों पर तो
भौतिकता का परदा पडा है
जो दीवार बनकर हमारी और आपकी
जान-पहचान के बीच खडा है
इसलिए,आप दिन के उजाले मे भी मुझे पहचान नहीं पायेंगे
आप तो सिर्फ मोटे बैंक बैलेंस
और झंडे-बत्ती वाले विशिष्ट लोगों को जानते हैं
आप आदमी को कहां पहचानते हैं
आप मुझे नहीं जानते?
यह
आपका और इस देश का दुर्भाग्य है
क्योंकि मैं तो अंधेरे मे भी चमकने वाला रवि हूं
अरे,मैं सदियों से कुंभकर्णी-नींद मे सोये हुए
इस देश को झकझोर कर जगाने कि अनथक कोशिश करता हुआ
कवि हूं।
अरविंद पथिक
९९१०४१६४९६

टिप्पणियाँ

वाह जी वाह! क्या परिचय है हुजूर.

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