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 ---गाड्डी यों ही चालेगी 
                                                     ------अरविंद पथिक
लालू को रोकना आसान था ,पर आलू को रोकना आसान नही, यह बात धीरे धीरे साहब की समझ में  रही है।वैसे भी मोदी जी अब मौन मोहन हो चले हैं।छप्पन इंचका सीना छप्पन छुरियो को झेल सकता है पर महगाई पर नकेल नहीं डाल सकता ।कडवी दवाई पीने के दिन  गये हैं।बजट बनाने में, बताने मे पीठ लचक गयीजेटली जी की, पढने में ही पसीने  गये।भाषणों की बुलेट सी रफ्तार और डिजायनर कुर्तों की चमक कहीं खो सी गयी है।हनीमून ना मना पाने का गम तो है ही, सूखाऔर इराक ने भी नाक में दम कर रखा है।आलू संभालो, प्याज चढ जाता है  और प्याज पर नकेल कसे, उससे पहले टमाटर लाल हो जाता है।ट्विट और रिट्वीट में भीमज़ा नहीं रहा।जब सस्पेंस ही खतम हो गया तो ड्रामा कौन देखे और कौन करे?वो तो भला हो चीन का जो कभी झील में टहल कर और नक्शों में अपनापन जताकर कुछएडवेंचर, कुछ थ्रिल करता रहता है, वरना ज़िंदगी कितनी रूखी कितनी बदमज़ा हो जाती।कुछ दन्न- फट्ट अपने पाकिस्तानी भाई भी कर लेते हैं ,तो झपकी टूट जाती है,पर जब करने को कुछ बचा ही ना हो तो कहे क्यापहले भी जो करना था नौकरशाहों को करना था अब भी नौकरशाह कर रहे हैं।सरकार संभाल ली नौकर शाहों ने औरपार्टी अमितशाहों ने साहब  तो मानों इन सर्विस रिटायर हो गये।कांग्रेस को  नेता प्रतिपक्ष का पद यों ही दे दें तो राजनीति एकदम से ही बेमज़ा हो जायेगी।राहुल भैयाफिर तो जागने से ही इनकार कर देंगे अभी मम्मी आंख दिखाकर पास बिठा लेती है फिर तो समझदार सतर्क दिखने की आखिरी वज़ह भी खतम हो जायेगी।पता होताकि आज़म भाई ,अमर सिंह ,अजित सिंह ,दिग्गी सब के साब खामोश हो जायेंगे तो साहब इनकी सीटों पर कैंडिडेट ही नहीं उतारते ।कैसा घोर सन्नाटा हो गया है?डीजलहर महीने बढेगा ,केरोसिन की सब्सिडिी खतम की जायेगी,सिलिंडर भी ज़ल्दी ही सब्सिडी ,मुक्तहो जायेगा ,गैस रूलायेगी कडवी दवा पीनी होगी जैसे ज़ुमलों पर भीपब्लिक ना गुस्साती है ना तोड फोड मचाती ऐसे में अब कहें तो कहें क्या? राजनीति का उदासीन पर्व चल रहा है।यू पी में अखिलेश जी के भाई -बिरादर पौरूष दिखाते हैं तो रौनक बनी रहती है।नगीना की श्रीदेवी की तरह लक्ष्मीकांत जी ने पुलिस कप्तान की छवि आंखों में उतारी तो लगा अभी कुछ एडवेंचर बचा है राजनीति में अब तो साहब कुछ कहेंगे पर साहब को ना बोलना था ना बोले।ना ही नेताजी ने कुछ कहा ।इससे ज़्यादा चहल -पहल आज़म साहब की भैंस खोने पर हो जाती थी।अच्छे दिनों की आस में पब्लिक का दिल बहुत बडा हो गया है।साहब ने तो पहले ही पांच साल बाद रिपोर्ट कार्ड दिखाने की बात कह दी ।अब तमाही छमाही और वार्षिक परीक्षा का मसला देखने के लिये स्मृति हैं ना।अच्छे दिन आये हैं तो बिजली ,पानी ,आलू ,टमाटर ,डीजल ,गैस का क्या रोना रोये।साहब भी चैन से सो रहे हैं आप भी पौने पांच साल रोयें।-जय हो भाई हनी सिंह--गाड्डी यो ही चालेगी--------------।

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