मित्र ,हमारे संबंधों में ऐसे पल आये


हाय,हैलो के बाद कहें क्या?
समझ नही पाये
मित्र ,हमारे संबंध
ों में
ऐसे पल आये
कुशल-क्षेम ,हारी-मज़बूरी
दर्द नहीं पूंछे
जीवन-रस के पात्र हो गये
असमय ही छूंछे
अवसादी-घन उमड -घुमड
मन आंगन पर छाये
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
घंटे,दिन,सप्ताह,महीने
बरसों बीत गये
आंखें नहीं ह्रदय भी अपने


बिलकुल रीत गये
स्वर,लय,गति,आवाज़
गये सब
गीत कौन गाये?
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
बिला-वज़ह हम तुम रूठे थे
कल की ही है बात
दुःस्वप्न बन गयी ज़िंदगी
जैसे काली रात
कुछ तो करो उपाय

कि फिर से सुप्रभात आये---।

-----------------अरविंद पथिक

टिप्पणियाँ

Dwarika Prasad Agrawal ने कहा…
भावपूर्ण॥

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