मित्र ,हमारे संबंधों में ऐसे पल आये
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
लेखक:
Arvind pathik
-
हाय,हैलो के बाद कहें क्या?
समझ नही पाये
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
कुशल-क्षेम ,हारी-मज़बूरी
दर्द नहीं पूंछे
जीवन-रस के पात्र हो गये
असमय ही छूंछे
अवसादी-घन उमड -घुमड
मन आंगन पर छाये
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
घंटे,दिन,सप्ताह,महीने
बरसों बीत गये
आंखें नहीं ह्रदय भी अपने
बिलकुल रीत गये
स्वर,लय,गति,आवाज़
गये सब
गीत कौन गाये?
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
बिला-वज़ह हम तुम रूठे थे
कल की ही है बात
दुःस्वप्न बन गयी ज़िंदगी
जैसे काली रात
कुछ तो करो उपाय
कि फिर से सुप्रभात आये---।
-----------------अरविंद पथिक
समझ नही पाये
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
कुशल-क्षेम ,हारी-मज़बूरी
दर्द नहीं पूंछे
जीवन-रस के पात्र हो गये
असमय ही छूंछे
अवसादी-घन उमड -घुमड
मन आंगन पर छाये
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
घंटे,दिन,सप्ताह,महीने
बरसों बीत गये
आंखें नहीं ह्रदय भी अपने
बिलकुल रीत गये
स्वर,लय,गति,आवाज़
गये सब
गीत कौन गाये?
मित्र ,हमारे संबंधों में
ऐसे पल आये
बिला-वज़ह हम तुम रूठे थे
कल की ही है बात
दुःस्वप्न बन गयी ज़िंदगी
जैसे काली रात
कुछ तो करो उपाय
कि फिर से सुप्रभात आये---।
-----------------अरविंद पथिक
11 फरवरी १९७२ को उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में जन्म.कुल आठ पुस्तकें जिनमे बिस्मिल चरित( महाकाव्य) ,जुगाड़ तकनीक के विविध आयाम (व्यंग्य -संग्रह ),अँधेरे कोने @फेसबुक डॉट कॉम (उन्यास )शामिल हैं .सम्प्रति -प्रवक्ता शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ