२जुलाई १९४३ को सुभाष सिंगापुर पहुंचे।आई०एन०ए०व इंडियन इंडिपेंडेंस लीग ने उनका भव्य स्वागत किया।४जुलाई को सुभाष ने कैथाई सिनेमा हाल में हुए समारोह में मुक्ति-संघर्ष का ऐलान किया।नेताजी ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा -'मैं,जीवन भर  यह महसूस करता रहा हूं कि भारत हर दृष्टि से आज़ादी के लिए तैयार ।उसके पास केवल मुक्ति-वाहिनी नहीं है।आपने आज़ादी के मार्ग में खडे एक मात्र अवरोध को भी आज तोड दिया।"
सुभाष सिंगापुर से रंगून पहुंचे उन्होने वहां अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फर की कब्र पर फूल चढाये।जुलाई १९४३ के अंतिम सप्ताह में बहादुरशाह ज़फर की कब्र के समक्ष आई०एन०ए० की शानदार परेड हुई।२६ अगस्त १९४३ को सिंगापुर वापस आकर सुभाष ने आई०एन०ए० के सुप्रीम कमांडर का पद संभाल लिया।२४ अक्तूबर १९४३ को सिंगापुर के कैथाई सिनेमा हाल में इंडियन इंडिपेंडेस लीग की कांफ्रेंस में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार(आर  ज़ी हुकूमते आज़ाद हिंद) के गठन की घोषणा की गई।यहीं आई०एन०ए० का नाम आज़ाद हिंद फौज़ रखने की घोषणा की गई।
नेताज़ी और उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों ने भारत को स्वाधीन कराने की शपथ ली।उनके मंत्रिमंडल के सदस्य थे---
लेडी डाक्टर कैप्टन लक्ष्मी स्वामिनाथन,ले०कर्नल ए०सी० चटर्ज़ी,एस० ए० अय्यर,ले० कर्नल अज़ीज़ अहमद खां,एन० एस०भगत,जे०के० भोंसले,गुलज़ारासिंह,एम०ज़ेड०कियानी,ए०एन० सहाय,करीम घानी, देवनाथ दास,डी०एम० खां,ज़े० थिकी,ईश्वरसिंह,ए० येलप्पा,रासबिहारी बोस,एन०एन० सरकार,और डा० डी०एस०राजू(आई०सी०एस०)।

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