'क्रिसमस ट्री'समझते हैं अब तो लोग बच्चों को
ना जाने क्यों सताने में लगे हैं लोग बच्चों को?
बच्चों में बच्चों सा रहा कुछ भी नहीं बाकी
नुमाइश सा सजाने में लगे हैं लोग बच्चों को
नही हैं मानते वे फर्क कुछ यीशू में बच्चों में
सलीबों पर चढाने में लगे हैं लोग बच्चों को
'राइम' रटना ही काफी नहीं दौरे तरक्की में
सभी कुछ तो रटाने में लगे हैं लोग बच्चों को
'घर में हैं नहीं पापा'-कह दो जाके अंकल से
कैसे झूठ बोलें वे सिखाते लोग बच्चों को
किताबों का नहीं है ख्वाहिशों का बोझ बस्ते में
'क्रिसमस ट्री'समझते हैं अब तो लोग बच्चों को
ये अंधी दौड है इससे 'पथिक'जी दूर ही
रहिये
बूढा करके मानेंगे अब तो लोग बच्चों को
---------------------अरविंद पथिक
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