ज़िंदगी तुझसे भी रिश्ता बिगड सकता है
ज़िंदगी तुझसे भी रिश्ता बिगड सकता है
दिल परेशां है दिमाग से झगड सकता है
वक्त के लेखे कौन पढ सकता है ?
लूला ऐवरेस्ट पे भी चढ सकता है
दौरे -ए-गर्दिश में ईमान की बात न कर
उसूल वाले तू ज़मीं में भी गड सकता है
उन्हें यकीं ही नहीं कि उनके सिवा
किताबे-इल्म कोई और भी पढ सकता है
जिनके नश्तर सहे उफ तलक न आयी लब पे
आज उनको मेरा गुलाब भी गड सकता है
ज़बीं पे 'पथिक' की बल दिखाई
देते हैं
कोई पर्वत जड से उखड सकता है
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