देवत्व आंसुओं के मूल्य को चुकायेगा


कृष्ण जनमाष्टमी की कोटि-कोटि शुभकामनायें।कृष्ण का बहुरंगी माखनचोर से लेकर योगेश्वर तक चरित्र और फिर महाभारत तथा अंतिम काल में यदु वंश को नष्ट होते निस्पृह भाव से देखते रहने का अंदाज़ अनुकरणीय नहीं।कृष्ण की केवल आराधना की जा सकती है ।अभीभूत हुआ जा सकता है।वे अगम्य हैं।तमाम पक्षों के बीच एक पक्ष जो कवियों,भक्तों की दृष्टि से उपेक्षित रह गया वह है।राधा के प्रति उनके अगाध प्रेम का पक्ष।उनकी वेदना का पक्ष।मैं ऐसा अनुभव करता हूं कर्तव्य बोध ने कृष्ण को कभी पलट कर अपने कैशोर्य के उस प्रेम की ओर जाने नहीं दिया या फिर लडके को बिगडता देख  ही नंद-यशोदा ने कसम देकर कहीं मथुरा तो नहीं भेजा था कि हमारे जीते जी अब तू गोकुल नहीं आयेगा---
आज २० साल पुरानी डायरी मिल गयी--१९९२ मे जब मैने गोष्ठियों में जाना शूरू कर दिया था और जीवन संक्रमण काल से गुज़र रहा था तब उपरोक्त संदर्भ में कुछ लिखने की कोशिश की थी।इन पंक्तियों में छंद और व्याकरण का दोष है पर भाव की तीव्रता को बनाये रखने के लिये जहां है जैसा है के आधार पर श्रीकृष्ण को आज जन्माष्टमी पर सौंप रहा हूं--श्रद्धालु भी प्रसाद पायें----

कृष्ण के चरित्र का भाग जो अधूरा है
कृष्ण की कृपा बिन कह नहीं पायेंगे
शारदे स्वयं ही लेखनी पे चाहें जायें बैठ
स्वयं विनायक बरन नही  पायेंगे
निज की वेदना को कल्पना से जोडकर
कृष्ण आदेश से शब्द स्वयं आयेंगे
कृष्ण-विरह-वेदना किंचित भी कह सका तो
पातकी-पथिक के पाप मिट जायेंगे

हमें चंद पल ही मिल पाये प्रीति के
उनकी ही आंच हम सह नहीं पाते हैं
उसकी व्यथा की थाह कौन पायेगा?
जिसकी कथा को हम दिन रात गाते हैं
राधिका के आंसुओं की चर्चा सर्वत्र है
कृष्ण चुपचाप ही अश्रु पी जाते हैं
जगत से जिसने भी आज तक प्रीति की
उसके निज कष्ट अजाने रह जाते हैं

गोपियों की वेदना का वर्णन सबने किया
कान्हा की वेदना की थाह कौन पायेगा?
गोपियों ने ऊधो के समक्ष वर्णन किया
कृष्ण का दर्द किंतु कौन कह पायेगा?
बिंदु यह शोध का सिंधु है खंगालिये
कृष्ण के आंसुओं में जग बह जायेगा
ऊधो से प्रतिवाद कर गोपियां सुबक उठीं
कान्हा तो चाहकर भी रो नहीं पायेगा













अखिल विश्व कल्याण, भक्तों के निर्वाण
विश्व की मुक्ति का भार वह उठायेगा
मनुष्यता के आंसुओं को पोछा जिसने आयु भर
उसके आंसुओं को कौन सह पायेगा?
मान भी संसार ये देता है स्वार्थवश
कह दूं तो सबसे यकीन उठ जायेगा
कृष्ण को देवपद दिया गया सोच यह
देवत्व आंसुओं के मूल्य को चुकायेगा

----------------------------------अरविंद पथिक

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