कल का दिन काफी व्यस्त रहा





कल का दिन काफी व्यस्त रहा।मेरे फेसबुक के आत्मीय मित्रों में से एक वरिष्ठ साहित्यकार श्रीकांत मिश्र 'कांत' कल चंडीगढ से कोलकाता जाते हुये कृपा पूर्वक मेरे आवास पर पधारे या यों कहें उनके आत्मीय सम्मोहन के चलते मैं उनका अपहरण कर लाया।दोपहर के भोजन पर अपने गांव घर की स्मृतियों को ताजा करते कई मित्रों -अग्रजों से मोबाइल पर बात भी हुई जिसमें मेरे गांधी १९९० के भूले बिसरे आत्मीय शिवेंद्र मिश्र भी शामिल 
हैं।श्रीकांत मिश्र 'कांत' की कवितायें दिन की उपलब्धि रहीं।

दोपहर बाद मेरे दूसरे फेसबुक मित्र राहुल उपाध्याय मेरे साथ 'सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति,की के एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिये मेरे आवास पर आये ।पं० सुरेश नीरव ,डा०कुंवर बेचैन,अरूण सागर,और राहुल उपाध्याय समेत नाचीज अरविंद पथिक दिल्ली और गाज़ियाबाद से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुये ।जबकि विष्णू सक्सेना,राहुल अवस्थी आदि एक दर्जन से अधिक कवि विभिन्न शहरों से इस कवि सम्मेलन में शामिल हुये।राहुल उपाध्याय की 'मां'कविता पर कई महिलायें भावुक हो कर रो पडीं।जबकि मेरे काव्यपाठ से कई कवि भयाक्रांत हो कर अदृश्य हो गये।

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