तेरी यादें ही लफ्ज़ों में ढली हैं गज़ल हैं,गीत हैं,रूबाइयां हैं






मेरे चेहरे पे ये जो झाइयां हैं
बुरे वक्तों की परछाइयां हैं

शराफत का अभिनय न करिये
पता है आप बेहद काइयां हैं

तेरी यादें ही लफ्ज़ों में ढली हैं
गज़ल हैं,गीत हैं,रूबाइयां हैं

कल तक रानियां थीं जो घरों की
तुम्हारे शहर मे  वे बाइयां हैं

' पथिक 'जी गांव की हालत बुरी है
बिजली है ना अमराइयां हैं

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