सिंह ,सिंह ही रहता है,


सिंह ,सिंह ही रहता है,     जीवन या जीवन के पार
विस्मित,चकित,कुपित होता है ,उसके कृत्यों पर संसार
लिख जाता है निज पौरूष से समय वक्ष पर ऐसे लेख
जिनका वाचन युग करता है अरि करता है हाहाकार

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