---------------चेतना की भीतरी पर्तों में सुरक्षित ,गांधी

आज गांधी जयंती है।कई स्कूलों कालेजो में अवकाश है तो कई बंद हैं।गांधी की उपस्थिति हम चाहे अनचाहे महसूस करते हैं और गांधि का विरोध या समर्थन करने को विवश होते हैं।यही गांधी की जीत है गांधी को खारिज़ नही किया जा सकता।दरअसल गांधी व्यक्ति और विचार से आगे हैं वह क्रियाशील विचार हैं।बहुत सी चीजें जो केवल भाषण की और तालियां बजवाने की चीजे होती थी उन्हे व्यवहार में उतार लाना गांधी के बूते की ही बात थी।असर सदैव आचरण का होता है शब्दों का नहीं।भाषण वीर तो गांधि के काल में भी बहुत थे।पर वचन को व्यवहार में उतार लेने वाला ना तब था और ना अब।एक गांधी ही थे कि नफरत के दौर में शांति की प्रेम की बात करने के लिये सबसे पहले प्राण देने के लिये खडे हो जाते थे।दक्षिण अफ्रीका से लेकर चंपारण और नोआखाली तक कोई साथ दे तो और कोई साथ न दे तो भी शांति के लिये अमन के लिये और न्याय के लिये मर मिटने को तत्पर गांधी मौज़ूद मिलते हैं।आलोचना तो लोग राम और कृष्ण की भी करते हैं,पैगम्बर और रसूल की भी करते हैं,अपने निजी बाप की भी करते हैं तो गांधी कि क्यों नहीं करेंगे? जिन्होनें अपने जीवन में एक नाखुन का भि अपनी मरज़ी से त्याग नहीं किया उनकी आलोचना का अर्थ भी क्या?देश विभाज़न का गांधी ने कभि समर्थन किया हो मुझे ऐसा कोई लेख नही मिला,गांधी बेहद धार्मिक थे किसी भी कट्टर हिंदू से बडे हिंदू और किसी मुसलमान ,सिख,या दुनिया की किसी कौम ने कभी गांधी का या गांधी ने किसी का विरोध किया हो याद नहीं पडता।गांधी को लेकर असमंजस या विवाद हमारी अपनी सीमाओं के कारण है क्योंकि गांधि तो अपने लक्ष्य के लिये सीमाओं के पार आते जाते रहे।जिस तरह कृष्ण की सिर्फ पूजा की जा सकती है उनके जैसा बनना संभव नहीं गांधी भी धीरे धीरे पूजनीय होते जा रहे हैं परंतु प्रेरणा नही दे पाते क्यों कि हमारी संवेदना के पात्र रीत गये हैं--गांधी तो शांत हैं सहज हैं परंतु अपनपसंद असमंजस में हैं क्योंकि गोडसे शोर मचाने और समझाने में कामयाब हो गये है कि वे जीत गये हैं।सुभाषचंद्र बोस जिसे 'राष्ट्र पिता" कहते हों रामप्रसाद बिस्मिल क्रांति की पाठशाला में प्रवेश लेने से पूर्व गांधी की पाठशाला में जाने को कहते हों ,चंद्रशेखर आज़ाद जिस गांधी की जयकार कर सदैँ आज़ाद रहने का संकल्प करते हों वह गांधी नोट और वोट की शक्ल में नहीं अपितु हमारी चेतना की भीतरी पर्तों में सुरक्षित है।गांधी ज
यंती हमें कहीं उसी गांधी जिसका होना हमें भारतीयता के होने ,शांति और करूणा के होने की याद दिलाती है।यह याद अमर रहे,गांधी अमर रहें,जयहिंद।

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