बिलकुल अभी अभी लिखा गया गीत।

मन जब नहीं नहीं कहता है ,क्या हम बात करें?
मन की मानें चलो आज से,नव शुरूआत करें,

मन की तुमने बहुत दिनों से सुनी-अनसुनी की
मन की बातोंकी तो तुमने बहुधा आहुति दी
चलो आज अपने ही मन से मन की बात करें
मन की मानें चलो आज से नव शुरूआत करें

मन को मनमानी से रोका-टोका खुद को छला
गुणा-भाग के प्रस्तर खंडों से मन को कुचला
दमित-शमित-आहत घायल पर और न घात करें
मन की मानें चलो आज से,नव शुरूआत करे

कितने सुंदर दिन थे जब हममनमानी करते थे
और हमारी मनमानी से सभी डरा करते थे
वैसी ही नासमझी की फिर कोई बात करें
मन की मानें चलो आज से,नव शुरूआत करे

देखो कितना रीत गये हैं मन की ना करके
हार चुके हैं कदम-कदम पर अर्थहीन गुनके
बंदिश तोडें आओ सारी मन की बात करें
मन की मानें चलो आज से,नव शुरूआत करे।
--अरविंद पथिक

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