तम से दश-दिशायें भर गयीं

शाम ढलने का इशारा कर गयीं
परछाइयां सारी किनारा कर गयीं
प्रेत स्वागत गीत गाते आ रहे
नैराश्य तम से दश-दिशायें भर गयीं

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदी के विकास में विदेशी विद्वानों का योगदान

विभाजन और साम्प्रदायिकता के स्रोत: सर सैय्यद अहमद खान

हिंदी फिल्मों में स्वास्थ्य हमेशा महत्वपूर्ण विषयवस्तु रहा है