पतवारों का तूफानों से समझौता है
पतवारों का तूफानों से समझौता है जयचंदों ने गोरी को भेजा न्योता है सारे रक्षक मस्त पडे बेसुध सोये हैं कर्णधार सब सुरा सुंदरी में खोये हैं कलमकार सत्ता के चारण बन ऐंठे हैं लोकतंत्र की शाखाओं पर उल्लू बैठे हैं केवल क्रिकेट ही है कहानी घर-घर की कुंठित-अवसादित है जवानी हर घर की देशभक्ति की बातें फिल्मी माल हुईं प्रतिभा हीन नग्नतायें वाचाल हुईं भारत का अस्तित्व मिटा जाता है इंडिया-शाइनिंग करता मुस्काता है आज नहीं गांधी , न जवाहरलाल यहां खोये प्यारे बाल-पाल औ लाल कहां नहीं गर्जना करते , प्यारे नेताजी करते हैं नेतृत्व फिल्म अभिनेता जी रोज आंकडे हमे बताये जाते हैं सेंसेक्सी कुछ ग्राफ दिखाये जाते हैं बतलाते हैं अंतरिक्ष में पहुंच गये हैं हमने तिरछे नयन किसी के नहीं सहे हैं और न जाने कितनी ही ऐसी बातें मधुर चाशनी में लिपटी कटुतम घातें रोज़ यहां होती हैं समझते हम सब हैं देख रहे चुपचाप बोलते हम कब हैं ? खतरे की चर्चा करते हैं मित्रों से देशभक्ति दिखलाते हैं चित्रों से पर चर्चा के आगे बात नहीं बढती है कुछ करने की ध...