मित्रों २७ फरवरी को मेरे छोटे बेटे का जन्मदिन था।इसके अतिरिक्त मेरे कार्यालय की दलित शक्तियां कुचक्रों में लिप्त हैं।उनसे संघर्ष रत मैं अमरशहीद चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान दिवस को भूल ही गया था।अपनी भूल सुधार करते हुये ' बिस्मिल चरित ' का एक अंश श्रद्धांजलि स्वरूप भेंट कर रहा हूं----- काकोरी एक्शन योजना द्वारिकापुर की घटना ने , क्रांति कर्म दुर्घटना ने घाव किये मन पर भारी , पर , बिस्मिल थे आभारी छूट गये थे कलुषित कर्म , किंतु हवा थी बेहद गर्म साधन कहां से लायेंगे ? दल को कैसे चलायेंगे आया तभी उन्हें संदेश ,' साथी ' बन सकता है , विदेश ज़र्मन पिस्तौलें बंदूक , और बमों के कुछ संदूक ले ज़हाज़ है रस्ते में , मिल सकते हैं सस्ते में कुछ भी करो दंद या फंद , मुद्रा का पर करो प्रबंध पाना खेप ज़रूरी है , पैसों की मज़बूरी है ' सेंट्रल-वर्किंग-कमेटी ' में , एच०आर०ए० की मीटिंग में वाद-विवाद लगा होने , परिसंवाद लगा होने धन को कैसे जुटायें हम , अस्त्र किस तरह पायें हम सबसे पूछा कैसे हो ? ऐसे हो या वैसे हो धन तो हमें जुटाना है , हथियारों क...