मित्रों पं० रामप्रसाद बिस्मिल को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये 'बिस्मिलचरित' के चतुर्थ सर्ग मे मैने काकोरी एक्शन के बाद की परिस्थितियों का वर्णन कर क्रांतिकारियों के बलिदान को रेखांकित करने का एक विनम्र प्रयास किया है अपनी कोशिश मे कितना सफल हो सका हूं बताइयेगा अवश्य--- "उस सत्ता को जिसका सूरज सदा चमकता रहता था जिसके क्रोध कीर्ति का डंका जग में बजता रहता था ऊसकी यशोपताका को था ,पलक झपकते गिरा दिया 'काकोरी' के घटनाक्रम ने अंग्रेजों को हिला दिया खबर छपी सारी दुनिया के परचों में अखबारों में सन्नाटा छा गया,विश्व की अंगरेजी सरकारों में सत्ता का आतंक घटा,टूटा था गोरों का दंभ लेकिन तय था सर्प शीघ्र ही मारेगा कस कर के दंश पग-पग पर जासूस लगे थे,वातावरण था,भयकारी काकोरी के बाद का हर पल ,अंगरेजों पर था भारी हुईं बैठकें लंदन में भी ,और हुईं दिल्ली में भी वायसराय के गुप्त रूम मे,हुईं असेंबली में भी "जाग उठा भारत तो हमको ,जाना ही पड जायेगा तेईस करोड ने फूंक लगायी तो लंदन उड जायेगा अगर खजाना लुट जाने का ,क्रम चालू हो जायेगा कुछ ही दिनों में निश्चय हीफि...